लेखनी कहानी -09-Aug-2022 आजादी की रात
वो रात कितनी हसीन थी
आंखों में किसी के ना नींद थी
दासता से मुक्ति मिल रही थी
"आजादी" खुले में सांस ले रही थी
"तिरंगा" कर रहा था आसमान से बात
दीवाली सी लग रही थी वह रात
आनंद की बारिश हो रही थी
"भारत माता" खुशी के मारे रो रही थी
जन जन की कुरबानी रंग लाई थी
देश के सौभाग्य ने ली अंगड़ाई थी
वर्षों की गुलामी आखिरी सांस ले रही थी
आजादी की स्वच्छ हवा फेफड़ों में भर रही थी
बापू का सत्याग्रह सफल हो गया
गोरों का षड्यंत्र निष्फल हो गया
एक नया भारत बनने को था
एक सपना हकीक़त में उतरने को था
श्री हरि
9.8.22
Shashank मणि Yadava 'सनम'
30-Aug-2022 08:12 AM
उम्दा, उत्कृष्ट
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MR SID
10-Aug-2022 08:47 AM
Nice
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Teena yadav
10-Aug-2022 01:23 AM
Very nice 👍
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